Sunday, October 11, 2020

संसार चक्र - (नाटक )

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

【 स्वराज्य】- नाटक 


 कल से आगे:- 

(तीसरा दृश्य )-

स्थान शहर लाहौर में गवर्नर की अदालत।।                                              

 [ वृद्धा, राजकुमारी ,उग्रसेन, व यूनानी पुलिस अफसर हाजिर है -उग्रसेन के हथकड़ी लगी है -गवर्नर इजलास में आकर बैठता है]  

गवर्नर -(मिसिल खोलकर और पुलिस अफसर से मुखातिब होकर)  बड़ा संगीन जुर्म लगाया है जी!  पुलिस अफसर- हुजूर! इन लोगों ने 13 बैसाख को महिलासमाज के जल्से में निहायत भड़काने वाली तकरीरें व हरकतें की। मुझे मजबूरन जलसा बर्खास्त कर आना पड़ा वरना संभव था कि बलवा हो जाता।। 

 गवर्नर-( कागज उलट कर) तकरीरों का खुलासा एक तो तुम्हारा लिखा है , और दूसरा किसका है? 

 अफसर- हुजूर ! मेरे नायाब का है।      

                             

   गवर्नर-जगह जगह पर खाली जगह छोड़ रक्खी है , इसकी क्या वजह है? 

 अफसर- इन लोगों ने दौराने तकरीर में जान बूझकर निहायत मुश्किल संस्कृत अल्फाज इस्तेमाल किये ताकि हमारी समझ में न आवें और हम उनकी तकरीरों का पूरा मतलब समझने से कासिर रहें। 

 गवर्नर- देखो ! तुम्हें इस  संन्यासी के हथकड़ी नहीं लगानी चाहिये थी- तुम्हे मालूम नहीं कि बादशाह सलामत संन्यासियों की कितनी ताजीम करते हैं?

  अफसर-(झट से हथकडी खोल देता है) हुजूर! खता हुई लेकिन यह शख्स निहायत मखदूश है-अपने तई साबिक राजा नगरकोट  बतलाता है। 

गवर्नर- कुछ परवाह नहीं। और ये महिलाएं कौन है? 

 अफसर -यह पीरसाला सदरजल्सा थी- इन्होंने इब्ताई तकरीर की। दूसरी महिला ने बाद में तकरीर की और अपने तई इस संन्यासी की दुख्तर जाहिर किया।

  गवर्नर - माता! तुम्हारी कितनी उम्र है?  

वृद्धा- 70 साल के करीब।

  गवर्नर- क्या तुम हमारे राज्य से नाखुश हो?

 वृद्धा-हर्गिज नहीं- नगरकोट का बच्चा-बच्चा यवनसम्राट् और राज्यअधिकारियों के उपकार की कदर करता है। 

गवर्नर- फिर तुमने इश्तआलमआमेज तकरीर क्यों की?

 वृद्धा-मैनें राज्य के खिलाफ  इश्तआल हर्गिज नहीं दिलाया- मुझे अपने शब्द भूले नहीं है।  

गवर्नर - पुलिस अफसर! तुम क्या कहते हों? 

 अफसर-  इसके अल्फाज तो सख्त न थे लेकिन तकरीर का लुब्बे लुबाब यह था कि नगरकोट के बाशिन्दे हुकूमते यूनान का जुआ अपने कंधे से उतार फेंक दें। 

क्रमशः                                   

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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