Friday, October 9, 2020

दयालबाग़ सतसंग (शाम )

 **राधास्वामी!! 09-10-2020 / शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-   

                              

    (1) सुरत मन में प्रेम गुरु जिसके बसा। फूल से ज्यादा हर दम वह खिला।।-(प्रेम से हो जाय काँटा गुल गुलाब। प्रेम से हो जाय सिरका ज्यों शराब।। ) (प्रेमबानी-3-प्रेम की महिमा-पृ.सं.394-395)     

                                               

    (2) सतगुरु परम दयाल कही यह अमृत बानीः सुन लो बचन हमार कहूँ मैं तोहि बुझानी।।                                                   तन के भीतर लहू लहू बस प्रीति जो होती। महिमा वाकी अधिक जगत में निसदिन रहती।।-(सुरत अंश की प्रीति समझ काहू नहिं आवे। फिर अंशी की प्रीति भला कैसे लख पावे।। ) (प्रेमबिलास-शब्द-68-उत्तर,पृ.सं.92)                                          

  (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।                          

   🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**राधास्वामी!! 09-10-2020- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -                                                                                  

  (9) ऊपर के लेख से स्पष्ट होगा कि भक्ति- मार्ग एक सहज और आनंद से भरपूर मार्ग पर इस मार्ग पर सफलता के साथ कदम बढ़ाने के लिए सच्चे गुरु की अत्यंत आवश्यकता है। और सच्चे गुरु के न मिलने पर यह अत्यंत विपत्तिजनक है । इसी कारण राधास्वामी- मत में सच्चे गुरु की खोज पर हद दर्जे का जोर दिया जाता है l


यहाँ तक आदेश है कि यदि किसी मनुष्य का सारा जीवन भी सच्चे गुरु की खोज में बीत जाय तो कुछ डर नहीं। उसकी यह चेष्टा निष्फल  न जायगी किंतु साधन में गिनी जायगी। 

ऐसी चेष्टा के पश्चात जब उसे सच्चे गुरु की चरण- शरण  प्राप्त होगी तो उसकी उनके चरणों में प्रीति और प्रतीति ऐसी दृढ होगी कि उसे कभी अपने पैर फिसलने के अरुचिकर अनुभव का दु:ख उठाना न पड़ेगा।।                                                                       

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग 2

- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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