Monday, October 5, 2020

रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

 -रोजाना वाकिआत-31 जनवरी 1933- मंगलवार-


 आज का अखबार अलफजल कादियान अवलोकन से गुजरा। हजरत खलीफा साहब ने 12 दिसंबर के इन्दराज डायरी के हवाले से फरमाया है "मूलतः राधास्वामियों को रुहानियत से कोई ताल्लुक नहीं है। वह रुहानियत की  तारीफ पेश करें। उन लोगों को उनके कारोबार के लिहाज से इंडस्ट्रीज कंपनी तो कहा जा सकता है लेकिन रूहानियत के मुताबिक उनका दावा ऐसा ही है जैसे कि एक मोची यह दावा करें कि उसे रूहानियत में पैंठ है।।"    

                                                        

 खलीफा साहब जो कुछ फरमावे सर आंखों पर। क्योंकि आप एक ऐसे बुजुर्ग की यादगार है जिसने अपनी संगत को सब कौमों के ईशदूतों की इज्जत करने की सदोपदेश फरमाई और जिन्हें हजारों मुरीद मसीह  मौऊद(वादा किया हुआ) मानते हैं । हजरत खलीफतुल मशीह की राय में हम लोग रूहानियत के तारीफ तक से भी अनभिज्ञ है और इंडस्ट्रीज में दिलचस्पी लेने की वजह से हमारी हैसियत एक मजहब से अपरिचित मोची की सी है।

 इनके अलावा आपने और अनेक  ऐसी अनुचित व गलत बातें इरशाद फरमाई है जिन्हें पढ़कर सख्त रंज व अफसोस  होता है । इन बातों को अनदेखा करके यहाँ रुहानियत की तारीफ दर्ज की जाती है ताकि अगर नामुनासिब न हो हजरत खलीफा साहब अपनी राय पर नजर पुनरावलोकन फरमायें। रुहानियत कहते हैं रूह की कुव्वत के बिला सीधा प्रकटन को। 

क्रमशः                    

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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