Tuesday, October 6, 2020

प्रो सतसंगी साहब का ओजस्वी आह्वान

    आधुनिक वैज्ञानिक अब Principle of Abstraction of Mathematical Theory

(Topological Graph Theory) का आह्वान कर रहे हैं जिसका राधास्वामी मत

दयालबाग़ द्वारा 100 वर्षों से भी अधिक समय से शिक्षा के क्षेत्र में उपदेश

व अभ्यास किया जा रहा है।


परम पूज्य हुज़ूर प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब द्वारा फ़रमाया गया अमृतमय ओजस्वी बचन


(13 सितम्बर, 2020 सुबह कृषिकार्य के दौरान)

राधास्वामी

          मैं आपको हिन्दू-आर्यन राधास्वामी मत का संक्षिप्त परिचय देता हूँ जो चेतनता का सजीव उदाहरण है और न केवल विश्वास मात्र है अपितु आधुनिक Scientific Abstraction of the Mathematics of Science of Consciousness का सर्वोच्च स्तर पर आश्वासन देता है जिसे राधास्वामी मत में हम परिष्कृत विचार-धारा के माध्यम से Phonons व Photons के मध्य द्वैत के साथ एकता (unity) के सिद्धान्त को मानते हैं। अधिकतर लोग इस बात से परिचित हैं कि Photons तीव्रतम गति के परमाण्विक कण हैं जो प्रकाश विकीर्ण करते हैं। हालाँकि कुछ समय पूर्व और वर्तमान समय में प्रकाशित होने वाले अधिकतर प्रकाशन यही मानते हैं कि Phonons प्रकाश तरंग नहीं अपितु ध्वनि तरंग हैं । हम सभी अनुभव करते हैं कि प्रकाश अत्यंत तीव्र गति से प्रवाहित होता है- लगभग 1,84,500 मील प्रति सेकण्ड की गति से। प्रकाश के उत्सर्जन (emanations) तथा उच्च स्वरूप की ध्वनि के उत्सर्जन दोनों को Photons - प्रकाश वाहक तथा Phonons को ध्वनि वाहक माना जाता है जो उपरोक्त गति रखते हैं। अतः वर्तमान जगत में ध्वनि केवल गति ही नहीं है वरन् यह गति Abstraction of Mathematics of Topological Graph Theory के वशीभूत हो सम्पूर्ण ब्रह्मांड में प्रामाणिक है और जीवित मनुष्य के सिर में स्थित मस्तिष्क के केन्द्रों में ध्वनि व प्रकाश के सूक्ष्मतम परमाण्विक कणों की एकता की विशिष्टता को बताती है। राधास्वामी मत जो हिन्दू-आर्यन दार्शनिकता (Philosophy) की उपशाखा है, की उपदेश (Initiation) की प्रक्रिया हमारी दयालबाग़ जीवन शैली में इसी का उपदेश व अभ्यास कराती है। तो हम यहाँ कृषि क्षेत्र में जो कर रहे हैं वह एक नमूना है जो न केवल अपने पड़ोसी समुदायों अपितु  ब्रह्मांड की समस्त रचना की निःस्वार्थ सेवा के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करता है। Phonons की गति को अब Photons की गति के समरूप माना जाता है जो प्रकाश के परमाण्विक कण हैं वास्तव में यह ठोस रूप में वही व्याख्या करते हैं जिसका हिन्दू-आर्यन राधास्वामी मत समर्थन करता है और ACE (एडवाइज़री कमेटी ऑन एजुकेशन) ग़ैरसंवैधानिक संस्था प्रबुद्ध मण्डल के रूप में कार्य करती है। वहाँ हम वही उपदेश देते हैं व अभ्यास करते हैं जो वैज्ञानिक अपनी आधुनिक परिष्कृत/विकसित लेबोरेटरीज़ में धीरे धीरे विकसित कर रहे हैं। हम इसका अभ्यास मस्तिष्क में करते हैं जो प्रत्येक जीवित व्यक्ति के शरीर में उपलब्ध है। तो यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि अब आधुनिक वैज्ञानिकों का झुकाव इस ओर हो रहा है- ऐच्छिक द्वैत के साथ परम सत्ता से एकता, जिसे हमने कुछ वर्ष पूर्व दयालबाग़ एजुकेशनल इन्स्टीट्यूट (Deemed to be University) की स्थापना की 40वीं वर्षगाँठ पर चर्चा की थी, और अब लगभग 42 वर्ष हो गए हैं। इसे हम शिक्षा के क्षेत्र में दयालबाग़ कॉलोनी तथा इसके सह शिक्षा मिडिल स्कूल की स्थापना के समय वर्ष 1915 से उपदेश व अभ्यास कर रहे हैं। आज उच्च स्तर के वैज्ञानिक Principle of Abstraction of Mathematical Theory जो Topological Graph Theory कहलाती है उसका आह्वान अब कर रहे हैं।

धन्यवाद।

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