Wednesday, October 21, 2020

दयालबाग़ सतसंग 21/10 शाम

 **राधास्वामी!! 21-10-2020-

 आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-

                                   

  (1) मैं सतगुरु पे डालूँगी तन मन को वार। मैं चरनों में कुरबान हूँ बार बार।। करो मन से मालिक का सुमिरन मुदाम। परम पुर्ष राधास्वामी है उनका नाम।।-(जपो प्रीत से नित्त राधास्वामी नाम। पाओ मेहर से एक दिन आदि धाम।।)                                         

   (प्रेमबानी-3-मसनवी-8-पृ.सं.407-408-इती संपूर्ण)                                                                (2) सुन सेवक की माँग हुए स्वामी अति मगना। गहरी मेहर बिचार मृदू अस बोले बचना।।-(मन में तब यही फुरी धरो टुक धीर दिलासा। पितु मेरे होयं एक और सब भाँड तमाशा।।)                  

    (प्रेमबिलास-शब्द-74,पृ.सं.103-104)                                          

 (3)  यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।               🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 21- 10- 2020 

-आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- 

कल से आगे-(21) 

का शेष भाग:- 

 जहाँ गुरु का सच्चा या झूठा दोष कहा जाता हो या निंदा होती हो वहां अपने कान बंद कर ले या वहाँ से उठ जाय

( श्लोक 200 )। गुरु का सच्चा या झूठा दोष कहने से गधा और निंदा करने से कुत्ता होता है ।और गुरु की बड़ाई न सह सकने से बड़ा कीड़ा होता है (श्लोक 201)।  


गुरु के गुरु को भी अपने गुरु के समान जाने और बिना गुरु की आज्ञा के अपने देश से आये हुए चचा आदि को प्रणाम न करें (श्लोक 205)  स्नान कराना, उबटन लगाना, जूठा खाना , पाँव धोना, ये सब काम गुरु-पुत्र के न करें अर्थात गुरु ही के करें (श्लोक 206)।

 तो  ब्रह्मचारी शरीर त्याग करने तक गुरु की सेवा करता है वह बिना परिश्रम अविनाशी ब्रह्मलोक को पाता है चलो (244) ।                      

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻  

यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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