Thursday, October 15, 2020

रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज रोजाना वाकिआत- 

7 फरवरी 1933- मंगलवार:- 

राजा साहब अचल करंजी ने लिखा है कि ड्रामा संसार चक्र का मराठी जबान में अनुवाद करवा कर सुना। लेकिन आखिरी एक्ट समझ में नहीं आया। अच्छा हो कि कुल ड्रामा का अंग्रेजी जबान में अनुवाद हो जाये। मगर सवाल यह है कि अनुवाद  कौन करें।। 

                                                               

तीसरे पहर सर हुकुम सिंह कॉलेज इंदौर के प्रिंसिपल दो जैनी भाइयों के साथ मिलने आये। उनमें से एक अंबाला के लाला शिब्बामल थे। जो मेरे परिचित है । बातों बातों में एक साहब ने सवाल किया जबकि सत्य एक है तो मजहब अनेक क्यों है?  मैंने जवाब दिया सत्य से अनभिज्ञता  होने की वजह से लोग अपनी अपनी राय चलाते हैं।

 उन्होंने कहा लेकिन मजहबों के संस्थापक तो तत्वदर्शी माने जाते हैं फिर धर्मों में भिन्नता क्यों है?  मेरा जवाब था तत्वदर्शी एक ही बात कहते हैं लेकिन तत्वदर्शी पुरुषों के बचन समझने की काबिलियत न रखने की वजह से लोग उनके बचन में भेदभाव देखते हैं । 

उन्होंने पूछा- मजहबों में एक दूसरे के विपरीत बातें क्यों है?  मैंने कहा कोई मिसाल बतलाओं। उन्होंने कहा वैदिक धर्म में अहिंसा का प्रचार भी है और यज्ञों में पशु बलिदान करने का हुकुम भी है। मैंने जवाब दिया - यह मतजाद बातें नहीं है। जहाँ कोई कानून होता है वहां अपवाद भी होते हैं।

 हिंदू शास्त्रों में साफ लिखा है कि यज्ञ के निमित्त कुर्बानी हिंसा नहीं है । फिर दूसरे साहब ने पूछा मजहबो की तफ्रीक कैसे दूर हो?  मैंने कहा सत्य ज्ञान की प्राप्ति से । उन्होंने पूछा सत्य ज्ञान कैसे प्राप्त हो?  मैंने कहा तत्वदर्शी पुरुषों के चरणों में बैठने और सत्य ज्ञान की प्राप्ति की शक्ति जागृत करके उसका इस्तेमाल करने से । 

इस पर प्रिंसिपल साहब ने दरयाफ्त किया तत्वदर्शी को सत्य कैसा दरसता है ? जवाब दिया गया उसे सत्य असली रूप में दरसता है। उन्होंने पूछा उन्हें सत्य का क्या रूप दरसता है?  जवाब दिया गया तो इसका जवाब हासिल करने के लिए देने वाला तत्वदर्शी और जवाब लेने वाला तत्वज्ञान का अधिकारी होना चाहिये। उन्होंने कहा फर्ज कर लो कि हम दोनों में यह गुण मौजूद है।

 मैंने कहा अगर आप में यह गुण होता तो सवाल न करते।  जैसे किसी अंधे के लिए आंख वालों की हालत का अनुमान करना नामुमकिन है ऐसे ही त्रिगुणात्मक बुद्धि का बिलास देखने वालों के लिए तत्वदर्शी की ज्ञान अवस्था का अनुमान करना नामुमकिन है ।गर्जेकि लगभग डेढ़ घंटे तक खूब बहस रही। जैनी भाई अक्सर जबान के मीठे व खुशमिजाज होते हैं  चुनाँचे यह तीनों भाई भी ऐसे ही थे इसलिए बातचीत बड़े प्रेम से जारी रही। 

क्रमशः                   

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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