Saturday, October 24, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम

 **राधास्वामी!! 24-10-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                      (1) आज मम भाग जगे गुरु सतसंग आय मिली।।टेक।। सुनके सतगुरु के बचन हो गई मैं आज निहाल। संग में प्रेमी जनो के मगन होय रली।।-(गुरु से ले भेद चली आगे को सूरत प्यारी। राधास्वामी का दरश पाय के धुर धाम वली।।) (प्रेमबानी-4-गजल-3,पृ.सं.4)                                                           (2) सुनकर बिनय नवीन मेहर स्वामी को आई। जीवन के हित अर्थ बचन यों बोल सुनाई।।-( फिर तो यह जी आय लेस ले सारे तन को। पेश कहीं जो आय भक्ष ले कई इक मन को) (प्रेमबिलास - शब्द-76-उत्तर-पृ.सं.106)                                                         (3)  यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी*!! **24-10-2020 -

आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे-( 24) 

अब श्रीमद्भागवद्गीता को लीजिये।अध्याय 17 के श्लोक 14 में उल्लेख है :- "देवताओं, ब्राह्मणों, गुरुओं और ज्ञानियों की पूजा, पवित्रता , निष्कपटता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा अर्थात किसी को दु:ख न देना - शरीर के तप कहलाते हैं"। 

इसके अतिरिक्त अध्याय 18 के श्लोक 64-66 पर भी विचार कीजिये। " हे अर्जुन, मेरा परम बचन एक बार फिर सुन लो जो अति गुप्त भेद की बात है। जोकि तुम मुझे हृदय से प्यारे हो इसलिए तुम्हारे कल्याण के निमित्त में इसे दोबारा वर्णन कर देता हूँ-  अपने मन को मुझ में गला लो, मेरे भक्त बनो, मेरी पूजा करो, मुझे नमस्कार करो, तुम अवश्य मुझको प्राप्त होगे। मैं तुम्हें अपना वचन देता हूँ, तुम मेरे प्यारे हो। सब धर्मों को त्याग कर तुम केवल मेरी शरण धारण करो, मैं तुम्हें सारे पापों से छुड़ा लूँगा। इसकी बिल्कुल चिन्ता न करो"।।     

             

यह लिखने की आवश्यकता नहीं है कि कृष्ण महाराज ब्रह्म के अवतार थे और वक्त के गुरु थे।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

 परम गुरु हुजूर साहब जी महाराज!**

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