Saturday, October 17, 2020

प्रेमपत्र औऱ रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात

 -8 फरवरी 1933- बुधवार:

- हालाँकि आगरा में रहते इतने बरस हो गये लेकिन आज तक कभी टाउन हॉल देखने का संयोग नहीं हुआ था। आज आगरा नुमाइश कमेटी की मीटिंग टाउन हॉल में थी। मैं भी उस में सम्मिलित हुआ। 

और टाउन हॉल देखा। टाउन हॉल क्या है एक बाजार है। इमारत बड़ी शानदार है । चारों तरफ दुकाने है हॉल की इमारत में म्युनिसिपैलिटी के कार्यालय है । सैकड़ों मुलाजिम है सबका आना-जाना हॉल में से है। न मालूम इस शोर व आवागमन की मौजूदगी में बोर्ड के मेंबर कैसे मिलकर नाजुक म्युनिसिपल मामलात पर गौर करते हैं?  

टाउन हॉल की इमारत के  चारों ओर  बाजार हैं।  कहने के लिए उसमें एक पक्की सड़क बनी है लेकिन निहायत टूटी फूटी और गंदी है । दुकानों में काफी माल भरा है लेकिन सब माल के ऊपर गर्द का ढेर चढ़ा हैं । जगह-जगह गुड व अनाज के ढेर थे लेकिन सब धूल के लबादे ओढे।  जिसने " चिराग तले अँधेरा" की मिसाल दिन में देखनी हो वह इस गंज में आकर देखे। म्युनिसिपैलिटी का खास काम शहर की सफाई है म्युनिसिपैलिटी के मुख्य दफ्तर की ऐन नाक के नीचे इस कदर असावधानी सख्त अफसोसजनक है।।        

                           

शहर में एक साहब से मुलाकात हुई। आपने बीच बातचीत में फरमाया-  दयालबाग के जूते निहायत खराब होते हैं जिसकी वजह यह है कि वहाँ कलें नहीं है। मैंने कहा आपने कभी दयालबाग की फैक्ट्री देखी है?  जवाब दिया 7- 8 बरस हुए तब देखी थी । मैंने कहा तब मैं और आज में बहुत फर्क है । अब करीबन ₹40000 की कलें मौजूद है। जवाब दिया कि कलें बहुत घटिया मालूम होती है।

 जूतों की एडियाँ दोषपूर्ण है।  जिन बातों के लिए आगरा के जूते मशहूर है वह बातें दयालबाग के जूतों में मौजूद नहीं है। कारखाना लौटकर मैंनेजर साहब से हालात दरयाफ्त किये।  मालूम हुआ कि इतने आर्डर हाथ में है कि तबीयत परेशान है। पिछले साल ₹6000 का माल बनता था अब 12000/- से ऊपर का माल तैयार होता है लेकिन फिर भी आर्डर वक्त पर पूरे नहीं होते।

 रजिस्टर मँगा कर देखे तो मैंनेजर साहब के बयानात दुरुस्त पाये।  यकुम से 31 जनवरी तक ₹12800 का माल कारखाने से रवाना हुआ और इस वक्त ₹12000 के आर्डर हाथ में है ।  

अब किसकी बात का ऐतबार किया जाये। तहकीकात करने पर ज्ञात हुआ कि शिकायत करने वाले साहब खुद एक लायक व मशहूर कारीगर है और एक कारखाना जूता बनाने के मालिक है। सरहीन जो शिकायत आपने की वह बतौर एक विशेषज्ञ की थी । इसलिए यहीं नतीजा निकाला कि उसे दुरुस्त मानकर अपने काम को बेहतर बनाने कि फिक्र करनी चाहिये।                                         

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1

- कल से आगे -(11 )

 इस वास्ते कुल जीवों को, चाहे मर्द होवें या औरत , मुनासिब और लाजिम है कि अपनी जिंदगी संत मत का भेद और उसके अभ्यास की जुगती समझ कर जिस कदर बने कार्रवाई शुरू करें और अपने मन का घाट यानी मुकाम बदलवावें, तब यह भूल और भरम और गफलत, जिस कदर अभ्यास और सत्संग बनता जावेगा , दूर होती जावेगी। 

और जिन खयालों में कि मन भरमता रहता है उनकी आहिस्ता आहिस्ता कमी और अभाव होता जावेगा और भोगों की तरफ से चित्त हटता जावेगा और होशियारी बढ़ती जावेगी अंतर में रस और आनंद सुरत और शब्द की धार का ध्यान और भजन के अभ्यास में मिलता जावेगा और मन और सुरत उसके आसरे चढ़ते जावेंगे और भूल और भरम और दुख सुख और कर्म के स्थान से हटते जावेंगे और रफ्ता रफ्ता त्रिकुटी में पहुँच कर मन अपने निज घर में रह जवेगा, और वहाँ से सुरत न्यारी होकर अकेली अपने निज देश में, जो कि सत्तलोक और राधास्वामी धाम है, पहुँच कर अमर और परम आनंद को प्राप्त होगी और तब जन्म मरण और देहियों के बंधन से सच्चा छुटकारा और बचाव हो जावेगा । 

क्रमशः          

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


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