Thursday, October 1, 2020

दयालबाग़ सतसंग

 राधास्वामी!! 01-10-2020-/ शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-   

                                

  (1) जो तुझे चलना है तो इस ढंग चल। जो खिजर है तौ भी गुरु के संग चल।।-(गुरु से परमारथ की दौलत पायेगा। सुरत सँग चेतन्न अंग हो जायेगा।।) (प्रेमबानी-3-आशआर सतगुरु महिमा-पृ.सं.386-387)     

                                                

 (2) ना जानूँ साहब कैसा है।।टेक।। कोई कहे ईसा पुत्र तुम्हारा, आया जग में धर औतारा। बिन उन मेहर न कोई सहारा, क्या साहब तू ऐसा है।।५।। -(हे साहब मेरे प्रीतम प्यारे, हे स्वायी मेरे प्रान अधारे। क्या सचमुच रहो इनके सहारे, जिनका भाखा लेखा है।।८।।) (प्रेमबिलास-शब्द-64-पृ.सं.84)                                                 

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा- कल से आगे।।      

             

  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻



 शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-

   - यथार्थ प्रकाश भाग -दूसरा-      

                                                

[अक्षेपको की कठिनाइयाँ]:-                

 【सतगुरु भक्ति पर आक्षेप 】   

                 

  (1) संसार में भक्ति- मार्ग का प्रचार प्राचीन काल से चला आता है ।और इस समय भी लगभग दुनिया की 9/10 आबादी भक्ति-मार्ग का दम भरती है , पर सब लोगों का भगवन्त एक नहीं है। कोई राम या कृष्ण की भक्ति करता है, कोई मसीह या मरियम की। कोई सिक्ख गुरुओं की भक्ति करता है, कोई मुसलमान पीरो और औलियाओं की। इतिहास बतलाता है कि पहले- पहल मनुष्य को मरे हुए पूर्वजों अर्थात् पितरों की पूजा का शौक पैदा हुआ । उसके बाद देवताओं, फिर अवतारों ,पैगम्बरो, गुरुओं की पूजा का रिवाज चला।।                                                          

  (2) भक्ति का अर्थ है प्रेम और श्रद्धा का व्यवहार। तदनुसार भक्ति- मार्ग के अनुयायी अपने भगवन्त के चरणों में किसी न किसी रूप में इन अंगों को प्रकट करते हैं । भक्ति- मार्ग के अतिरिक्त दूसरा मार्ग ज्ञान का है। ज्ञान- मार्ग पर चलने वाले साधारणतः प्रेम और श्रद्धा का व्वहार नही करते और ग्रंथों का अध्ययन विचार करके संतुष्ट करते हैं।                                                               

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻         

                     

 यथार्थ -प्रकाश-भाग-2-

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!


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