Sunday, October 4, 2020

प्रेमपत्र

 **परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1

- कल से आगे-(12) 

अब ऐसे शख्स को मुनासिब और जरूरी होगा कि संत सतगुरु और साध और प्रेमी जन का संग करके अपनी पिछली चाल ढाल और रहनी और चाहों को जिस कदर जल्दी मुमकिन होवे, बदलता जावे और संतों के बचन के मुआफिक सच्चे प्रमार्थियों की रहनी और बरताव ग्रहण करें।

 जिस कदर तन मन और तवज्ज  के साथ यह शख्स संग करेगा और जिस कदर नूर और विचार के साथ प्रेमियों की रहनी और रीति समझकर उसके मुआफिक कार्रवाई शुरू करेगा और अपनी पिछली हालत और चाल और स्वभाव और चाहों को निरख परख कर जिस कदर उनमें फजूल और नामुनासिब होवें, उनको आहिस्ता आहिस्ता छोड़ता जावेगा और सच्चे मालिक के मिलने और अपने घर में पहुंचने का इरादा मजबूत करके सचौटी के साथ जो जुगत कि संत बतावें उसके अभ्यास में लगेगा, उसी कदर उसके मन और इच्छा का रंग बदलता जाएगा और जो झुकाव उनका दुनियाँ के भोग बिलास और पदार्थों को बढ़ा समझ कर बाहर और नीचे की तरफ हो रहा है, वह भी बदल कर ऊपर की तरफ यानी सच्चे मालिक के धाम और घर की तरफ आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता जावेगा।

 और जिस कदर मन और सुरत की चढ़ाई ऊँचे को घट में होती जावेगी, उसी कदर मन और इच्छा का खमीर यानी मसाला भी निर्मल होता जाएगा। जैसे जिस कदर नीचे की हवा ऊपर की तरफ चढती जाती है, उसी कदर उसकी स्थूलता और गंदगी दूर होकर शीतलता और ताजगी बढ़ती जाती है , इसी तरह एक दिन उस अभ्यासी की सुरत तन मन और इच्छा और माया के देश से न्यारी होकर और निर्मल चेतन देश में पहुंच कर अपने सच्चे मालिक का दर्शन पावेगी और अमर अजर होकर परम आनंद को प्राप्त होगी और रोग सोग और जन्म मरण के दुःख से पूरा छुटकारा हो जायेगा।

 क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


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